मैंने कहीं सुना तिरंगे में चार नहीं पांच रंग होते हैं
और जब उसने बताया पांचवा रंग
एक शहीद के खून का है
यह बात मैं आज तक नहीं भूल पाईं
सोचती हूं कितना गहरा
और कितना पक्का होगा वह रंग
जब तिरंगे में लिपट कर
अपने घर तक पहुंचा होगा
वह रंग सिर्फ ख़ून का तो नहीं हो सकता
नहीं, वह रंग था,
देश के स्वाभिमान का, गरिमा का,
देश की सुरक्षा का।
एक पिता की लाठी था
एक मां का चिराग
एक बहन का राखी था
एक भाई का सारथी।
किसी के मांग का सिंदूर था
एक बेटी का अभिमान, एक बेटे का आसमान।
वह सिर्फ रंग नहीं था, एक शहीद का बलिदान था। देशभक्ति का प्रमाण था।
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