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Poem on Subhash Chandra Bose

SUBHASH CHANDRA BOSE

सुभाष चन्द्र बोस 


युटुब पर सुनें 👆



इतिहास वही रचता है ,
जो तूफानों से लड़ता है ।
हरा दे जो मौत को भी , 
वह बोस हर किसी में बसता है ।
माता के थे लाड़ले ,
पिता का सपना ले हुए बड़े ।
करने पूरा उन सपनों को ,
इंग्लैंड की ओर चल पड़े ।

नंद ,घोष की सोच जहां समाई थी ,
गुलामी उन्हें कहा भायी थी ।
फिर तोड़ के सारे सपनों को,
जय हिंद की आवाज लगाई थी ।
थाम के हाथ स्वराज का ,
शुरू कर दी नई लड़ाई थी ।
आजादी के इस युद्ध में ,
फिर एक नई क्रांति आई थी ।

छिड़ी एक नई बगावत ,
कोलकाता की वह धरती थी ।
आया था साइमन कमीशन 
पर सामने नेता के ,
उसकी भी कहा चलती थी ।
दिखा कर उसको काला झंडा ,
पूरा बंगाल बदल डाला ।
नेताजी ने सन सत्ताइस में ,
एक नया इतिहास लिख डाला ।

तेईस जनवरी सन् सत्तानबे ,
फुले ना समाया था ।
देकर जन्म वीर पुत्र को ,
उस दिन काल भी हरसाया था ।
काटने मैया के जंजीरों का जाल ,
स्वयं चंद्र धरा पर आया था ।
आजादी के उस युद्ध में ,
एक नया योद्धा आया था।

वक्त था बदल रहा ,
भारत में नई गर्मी आई थी ।
हिंद फौज का गठन हुआ ,
अब होनी नई लड़ाई थी ।
हॉल्वेट स्तम्भ को धूल बनाया ,
यह तो बस एक आगाज था ।
मिटा देंगे पूरा साम्राज्य ,
नेता का यह प्रहार था ।

नेता थे आजादी के , 
वो नेता हिंदुस्तान के ।
हुए खिलाफ जिनके गांधी भी ,
जिनका नेहरू भी ना साथ दें ।
पर साथ खड़ा था पूरा भारत ,
लेकर सर बलिदान के ।
ठंडी खून को ज्वाला कर दे ,
नेता वह इंसान थे ।

यह तो बस शुरुआत थी ,
अभी बहुत कुछ होना था ।
नेताजी के आदर्शों से , 
एक नया भारत‌ पिरोना था ।
स्वराज का मांग हुआ ,
अब पीछे फिर नहीं हटना था ।
देनी पड़े जान भी लेकिन ,
अब आजादी आजादी ही कहना था।
आसान नहीं जिसको पाना ,
आजादी वह गहना था ।
खून के बदले आजादी ले लो ,
नेता जी का‌ ये कहना था ।

आवाज में हुंकार उठी ,
और जय हिंद का नारा था ।
इक-इक वीर वहां पर ,
कफन बांध कर आया था ।
उठा कारवां हिंद फौज ने ,
कर दी शुरू लड़ाई थी ।
अंडमान निकोबार जीत के ,
इक नई मशाल जलाई थी ।

समय का यह कालचक्र ,
एक नया अंधेरा छाया था ।
चंद्र कहीं खो गया , 
कोहरा विकट घमसाया था ।
वो खो गए , या खो दिया गया ।
वो गुम गए ,या गुमा दिया गया ।
सवाल हर किसी के मन में छाया था ।
वह जल गए , या जला दिया गया ।
ये इतिहास भी ना समझ पाया था ।

मन में देकर कई सवाल ,
वह खो गया जैसे इन्द्रजाल ।
पूछ रही है भारत मैया ,
कहां गया है मेरा लाल ।
देकर मुझको जीवन रक्त ,
कहां खो गया वह वीर भक्त ।

  Nidhishree



आसा करती हूं आप सभी को यह कविता पसंद आई होगी ।
🙏






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