Written by - NidhiShree वो अहिल्या , पवित्र है , तुम गौतम से मूर्ख मत बनो । आएंगे उसे भगवान तारने , पछताओगे , ऐसा क्रोध मत करो । वो स्त्री है , उसे पता है अपनी मर्यादा , किसी और की सजा उसे मत दो । अगर हो विद्वान तो , सच्चाई परखना सीख लो ।। वो स्त्री है , उसे पता है अपनी मर्यादा , तुम दुर्योधन मत बनो । वो सखी है , कृष्ण की , तुम उसे अपमानित मत करो । ऐसा मोह ना हो प्रेम का , के धृत कि आंखें पा लो तुम । वो शक्ति भी किस काम की , अपमान देख चुप रह जाओ तुम । के खोल दिए , उसने केस अपने तो फिर महाभारत नई होगी । तुम महाभारत के कौरव मत बनो ।। अगर दे ना पाओ साथ तो , चुप रह राम सा प्रेम करो । अगर दे ना पाओ साथ तो , त्याग फिर प्रेम का हो । अगर दे ना पाओ साथ तो , वीरहन घड़ी की देख लो । अगर दे ना पाओ साथ तो , उसे धरती में जाते देख लो । वो सीता , सत्य है । तुम लांछन उसे मत दो । तुम रामायण के धोबी मत बनो ।। काटा है तुमने नाक भी , गलत कहां मैं कहती हूं । बस ध्यान हो इस बात का, वो तलवार भी लक्ष्मण की हो । जो कर सके ये फैसला , धर्म की जो कसौटी हो । स्वयं की ही जीत हो , ...
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